A Secret Weapon For shiv chalisa lyricsl
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पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
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करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
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जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं Shiv chaisa करी सहाई ।
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
भक्त अपने जीवन में पैदा हुई कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्री शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। श्री शिव चालीसा के पाठ से आप अपने दुखों को दूर कर भगवान शिव की असीम Shiv chaisa कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए। भक्त प्रायः सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत एवं सावन के पवित्र महीने के दौरान शिव चालीस का पाठ खूब करते हैं।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥